जैसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक दूसरे को देखते सुनते हो ऐसे ही उस प्रभु को उपकरण-युक्ति के द्वारा देखा-सुना जा सकता है : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • आपके पास दोनों विकल्प है मनुष्य शरीर और मौजूदा सतगुरु भी हैं रास्ता लेकर अपनी जीवात्मा को सतलोक निज घर पहुंचा दो
  • मनुष्य शरीर परमात्मा के दर्शन, प्राप्ति व उनके अमरलोक में जाने के लिए मिला तो उनसे प्रेम उनका जो लिंक वक़्त के सतगुरु उनसे प्रेम होना चाहिए

उज्जैन, मध्यप्रदेश। गुरु की महिमा बताते हुए बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 25 जनवरी 2022 को एनआरआई संगत में जुड़े चीन, हांगकांग, मलेशिया, अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई, कतर, ओमान, सिंगापुर, रूस आदि कई देशों में अपने भक्तों को ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयुकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि देखो प्रेमियों आप हमको हम आपको देख रहे लेकिन एक दूसरे से दूरी बहुत अधिक है यह ऐसा सिस्टम है कि सब एक दूसरे को देख और सुन रहे हैं यह कैसे हो रहा है मशीन और इसमें जो प्रोजेक्टर लगे हुए हैं उसके द्वारा देखा जा रहा है?

जैसे वीडियो कांफ्रेंस ( उपकरण ) के माध्यम से एक दूसरे को देखते हैं ऐसे ही उस प्रभु को युक्ति के द्वारा देखा जा सकता है

आपको समझने की जरूरत है इसी तरह से उस प्रभु को भी मनुष्य शरीर रूपी उपकरण व युक्ति के द्वारा देखा जा सकता है उनसे बात किया जा सकता है जैसे आप हमारी बात सुन रहे हो दूरी होते हुए भी मैं सुन सकता हूं। कैसे ? इन्हीं मशीनों के लिंक के द्वारा कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नहीं जुड़ पाये। यह जो सिस्टम है यह वैज्ञानिक विज्ञान है, इस जमीन ( धरती ) का विज्ञान है इसकी जानकारी जब हुई तब हम जुड़ पाए हैं, एक दूसरे को देख रहे हैं जिनको जानकारी नहीं है वह नहीं देख पा रहे हैं । यह जो विज्ञान आध्यात्मिक विज्ञान है यह ऊपर का विज्ञान है ऊपर का विज्ञान भी इसी तरह से है।

आध्यात्मिक विद्या के जो जानकार संत सतगुरु होते हैं जब वह लिंक दे देते हैं तो इसी मनुष्य शरीर में प्रभु का दर्शन होने लगता है

मनुष्य शरीर को एक मशीन ( उपकरण ) मान लो इसी तरह से आध्यात्मिक विद्या के  जानकार समर्थ गुरु जब लिंक दे देते हैं तब इस मनुष्य शरीर में उस प्रभु का दर्शन होने लगता है।

मनुष्य शरीर परमात्मा के दर्शन प्राप्ति के लिए मिला तो उनसे प्रेम होना चाहिए उनका जो लिंक है वक़्त के सच्चे सतगुरु उनसे प्रेम करना चाहिए

देखो इस मनुष्य शरीर से खाने का इंतजाम, बच्चे पैदा करते हो आप देखो यही काम जानवर भी करते हैं तो आदमी और जानवर में अंतर क्या रह जाएगा ? अगर यही काम आप करते रह जाओगे तो जीवन का समय निकल जाएगा। आप इस बात को समझो ( सतसंग के माध्यम से ) यह मनुष्य शरीर खाने-पीने और मौज मस्ती के लिए नहीं मिला है यह परमात्मा के दर्शन के लिए मिला है । प्रभु की प्राप्ति के लिए मिला है। उसके अमरलोक में जाने के लिए मिला है हमेशा उनकी गोदी में बैठ जाने के लिए मिला है तो उनसे हमको प्रेम करना चाहिए उनका जो लिंक दिए हैं जिनको समरथ गुरु सच्चे सतगुरु कहते हैं उनसे प्रेम करना चाहिए।

जितना प्रेम धन, पुत्र, परिवार से है उससे आधा अगर गुरु से प्रेम कर लो तो जिस काम में उलझे रहते हो वह बहुत आसानी से सुलझ जाएगा

प्रभु को तो हर कोई देख नहीं पाते हैं प्रभु का भेद बताने वाले होते हैं प्रभु के प्रति प्रेम पैदा करने वाले होते हैं। वह कौन होते हैं ? जैसे हमारे आप के गुरु महाराज थे उनसे प्रेम होना चाहिए जितना प्रेम धन, पुत्र, परिवार, पति-पत्नि से प्रेम करते हो उससे आधा प्रेम  गुरु से करो जो आपका ये जो फँसाव उलझन है, उलझे रहते हो दिन रात लगे रहते हो कुछ ना कुछ उलझा हुआ रहता है नहीं सुलझता है, वह बहुत आसानी से सुलझ जाए। बहुत आसानी से वह होने लग जाए। इसलिए प्रेम गुरु से प्रेम करो । गुरु को खुश करो। गुरु कब खुश होंगे ? जब उनके आदेश का पालन करोगे।

पिता की जो इच्छा है, बेटा पूरी करके खुश कर देता है l ऐसे ही जिसके अधीन देवी-देवता, अंड-पिंड ब्रह्मांड सब कुछ है,  सतगुरु जब खुश हो जायेंगे तो आपको क्या नहीं दे सकते

बेटा बाप को जब खुश करता है बाप-पिता की जो इच्छा है बेटा उस काम को कर देता है पिता खुश हो जाता है पिता कौन होता है ? घर का मालिक। उसके, पिता के पास तो पूरी पावर होती है धन और दौलत सब कुछ होता है बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं लेकिन पिता जब तक रहता है तब तक संपत्ति उसी की मानी जाती है धन दौलत घर उसी का माना जाता है वह किसको क्या दे दे ? जिसके सब कुछ है दुनिया बनाने वाला जिसको कहा गया जिसके अधीन देवी-देवता अंड, पिंड, ब्रह्मांड सब हैं वह जब खुश हो जाएगा तब आपको क्या नहीं दे सकता है ?

दुनिया से लगाव तो रखो लेकिन इनमें फँसो नहीं

प्रेमियों आज की तारीख में आप सबसे मुझको यही कहना है दुनिया से लगाव रखो लेकिन इसमें फंसो तो नहीं १ आपको यह मैं नहीं कहता हूं कि घर छोड़ दो, बिजनेस ( व्यापार ) नौकरी - बच्चों को छोड़ दो। यह मैं नहीं कहता हूं ना हमारे गुरु महाराज जी ने कहा। रहो इन्हीं के बीच में लेकिन इनको सब कुछ ना मान लो।

जैसे भारत देश के कुछ लोग विदेशों में रहते हो लेकिन आपको भारत से प्रेम लगाव है ऐसे ही आपका देश सतदेश- सतलोक है वहां से भी लगाव प्रेम रखो

आप इसमें अधिकांश लोग भारत के रहने वाले हो भारत देश से दूसरे देश में पैदा हुए हो आपका मूल तो भारत देश है भारत में आपके खानदान रक्त के लोग आप सब लोग भारतवासी हो जिस तरह से भारत से आपका लगाव - प्रेम है उसी तरह से लगाव वहां से भी होना चाहिए। कहते हैं जहां भी रहो, वफादारी से रहो, देशभक्त रहो लेकिन अपने देश को भी याद रखो अपना देश कौन सा है ? प्रेमियों अपना देश है, जहां से आए हुए बहुत दिन हो गया, अभी नहीं पहुंच पाए, उसको भी आप याद रखो। जब तक आप अपने देश सतदेश नही पहुँचोगे आपको सुकून और शांति मिलने वाली नहीं है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ